ब्रह्म मुहूर्त में उठना और शांत बैठना -
सूर्योदय से सवा २ घंटे पहले ब्रहम मुहूर्त चालू होता है. एक घंटा भी पहले उठे तो आप ब्रह्म मुहूर्त में उठे गए. उठते ही कुछ न करे. शांत बेठे जाएँ. जो सुख को, दुःख को, जीवन को मृत्यु को जानने वाला आत्म देव है, मैं उस सत चित्त आनंद स्वरूप के माधुर्य में शांत हो रहा हूँ. यह मायाविशिष्ट तन मेरा नहीं, लेकिन माया और माया के खेल मुझ चेतन्य से प्रकाशित होते है. इस ब्रह्म भाव में कुछ समय बेठे रहे. भगवान श्रीकृष्ण भी नींद में से उठकर कुछ समय शांत बैठते थे. हम भी शांत बैठते है, तो बहुत लाभ होता है. दिन में की गई आरती पूजा से लाभ होता है. पर इसका लाभ कई गुना ज्यादा होता है.
प्रार्थना -
रोज प्रार्थना करें कि हे परमेश्वर, है गुरुदेव है इष्टदेव मेरा ह्रदय पवित्र हो, पवित्र भाव और पवित्र ज्ञान का विकास हो, सबमें जो एक सत्ता बसी है, वह साक्षी चेतन्य सतस्वरुप है.
प्रणव का दीर्घ जप -
सुबह गुरुमूर्ति को, इष्टमूर्ति को देखने हुए प्रणव का दीर्घ जप करें. ॐ कार सिध्दियों, जीव और ईश्वर के बीच एक सुन्दर सेतु है, प्रणव का दीर्घ जप एकाग्रता की कुंजी है. एकाग्रता शक्ति का संचय करती है. ॐ मन्त्र भोग, मोक्ष, आरोग्य, आयुष्य देने वाला है. साथ ही शांति आत्मबल और सूझबूझ का भी विकास करता है. आज ही दिनभर में आपको उसकी सुन्दरता का महानता का, थोडा सा अनुभव होगा.
ध्यान -
सुबह ध्यान में समय गुजरना चाहिए. ध्यान के समान कोई तीर्थ नहीं, कोई यग्य नहीं, कोई तप कोई ज्ञान नहीं, कोई दान नहीं, कर्म के बीच बीच में भी एक दो मिनट ध्यान करने से आपको कर्मो में चार चाँद लगेंगे और आपके चित्त में भी कर्म करने का आनंद आयेगा.
प्राणायाम -
प्रतिदिन प्राणायाम करना चाहिए. प्रणायाम करने से पाप नाशिनी शक्ति, रोग प्रतिकारक शक्ति, अनुमान शक्ति, क्षमा शक्ति व शौर्य शक्ति विकसित होती है. तथा स्मरण शक्ति बढ़ती है. जो प्राणायाम करते है. ऐसे साधनों के ह्रदय में आत्म, प्रकाश होता है. श्वास लेकर रोकें एवं भगवान का जप करे. तो सौ गुना प्रभाव होगा. भगवन्नाम सहित वाले प्राणायाम थोड़े ही दिनों में आपको प्रसन्न चित्त, मधुर स्वभाव और सद्भाव सम्पन्न कर सकते है. प्रणायाम से आत्म बल बढ़ता है और आत्म शक्ति प्रबल होती है.
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