मनुष्य का शरीर और Yoga Benefits -
एक मशीन है, जो कई प्रकार के कुल्पुर्जो (अंग प्रत्यंग) से बनी है. यदि मशीन का कोई भी पुर्जा ख़राब हो जाये. तो मशीन कार्य करना बंद कर देती है. इसलिए शरीर रूपी मशीन को भी साफ सफाई रख रखाव आदि की आवश्यकता होती है. आज के इस मशीनी युग में हम कितना भी सामाजिक सुसंस्कृत बनकर भौतिक सुखो की प्राप्ति कर ले. परन्तु आनंद की प्राप्ति नहीं कर सकते है.
मस्तिष्क योग के Yoga Benefits -
शारीरिक विकृति में हम मानसिक तनाव में नींद लाने की नशीली गोलियाँ मल विसर्जन के लिए जुलाब, दर्द के लिए दर्द निवारक गोलिया, शरीर की शक्ति के लिए टोनिक आदि का प्रयोग करते है. परिणाम स्वरूप आज का मनुष्य विशेषकर युवा वर्ग मादक पदार्थ की और अग्रसर हो रहा है. जिससे जीवन मूल्यों का ह्रास होकर सामाजिक और नेतिक पतन होता जा रहा है.
सवाल यह है कि शारीरिक क्षय और सामाजिक तनाव को कैसे कम किया जाए? इसका सरल व वैज्ञानिक इलाज योग और प्रणायाम है. योग हमारे ऋषि मुनियों की वर्षो की तपस्या का फल है. आज के युग में योग के बारे में बड़ी गलत धारणाये है.
अधिकतर इसे व्यायाम व कसरत समझते है. परन्तु योगासन और कसरत आज में बहुत बड़ा फर्क है. योग हमारे अंगो प्रत्यंगो पर सूक्ष्म प्रभाव डालकर हमारी मानसिक, आंतरिक शक्तियों का चहुँमुखी विकास करता है.
प्रकृति उपहार -
प्रकृति ने मनुष्य को शत वर्ष का सुन्दर सुडोल नोरोगी शरीर प्रदान किया है. परन्तु हमने अपने रहन सहन खान पान से इस काया को असक्षम, आलसी व मोटा बना लिया है. मोटापा बहुत से बीमारियों को आमंत्रित करता है, जिसमे मधुमेह, रक्तचाप, ह्रदय रोग प्रमुख है.
मनुष्य की पीढ़ा -
आज के युग में मनुष्य कमर दर्द घुटनों का दर्द, मानसिक तनाव, कब्ज रक्तचाप और विशेषकर मधुमेह से ज्यादा पीड़ित है. योग से इनका शत – प्रतिशत इलाज संभव है. परन्तु योगासनों से इलाज में धेर्य व विश्वास की आवश्यक होती है और योग के आठ अंगो में से प्रथम दो यम व् नियम का पालन करना बहुत जरुरी होता है.
शुद्ध अंत: करण से यम नियम का पालन करने से मन को एक विशेष आनंद व आत्मा को परमात्मा की प्राप्ति सम्भव है. महाभारत में युधिस्ठिर ने प्रश्न किया – पितामह मनुष्य किस प्रकार दीर्घायु हो सकता है. भीष्म पितामह का उत्तर था. जो सदाचार से रहकर सत्य व ब्रह्मचर्य का पालन कर क्रोध व हिंसा का त्याग करता है. वह मनुष्य धन, यश व शतायु को प्राप्त करता है.
योगासन से स्वस्थ कैसे रहे -
हमारा सिर्फ एक ही उद्देश्य है कि योगासन से स्वस्थ कैसे रहे? यदि आसनों का पूर्ण लाभ लेना हो, तो सूर्योदय के पहले उठकर नित्य क्रिया से निवृत्त होकर प्रात: भ्रमण करना चाहिए. योगासनों में सर्वप्रथम सूर्य नमस्कार पूर्व दिशा की और खड़े होकर साफ और खुले वातावरण में करना चाहिए. बाद में अपनी आवश्यकतानुसार आसन किये जा सकते है. परन्तु शुरू में किसी योग प्रशिक्षण के निर्देशन में ही आसन करे. वर्तमान सम्बन्ध में विद्यालयों में योग के विषय का पदार्पण अत्यंत आवश्यक है एक सूक्ति है.
“आतं हो गरम, सिर हो ठंडा
पेट हो नरम, तो मार वेध्य को डंडा”
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